Salaam
अच्छे मिया की चोकठ जिसके नसीब में हे
शाहों से भी फजू तर हा उस का मर्तबा हे
मुर्शिद से बढ़ के कोई जंचता नही नज़र में
सौदा मताए दिल का क्या खूब बिक गया हे
अल्लाह का करम हे मुर्शिद मिला हे ऐसा
जिस का नसब यहा से तैबा तलक चला हे
सय्यद मिया ने जिस को अपने लहू से सींचा
बरकातीयत का गुलशन अब भी हरा भरा हे
मारेहरा से हमें क्यू नज्मी न हो अकीदत
मारेहरा ही से हो कर तैबा का रास्ता हे
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